वो कहते हैं की सीखो अकेले चलना
और सीखो अकेले गीर कर उठना
पर जब हर कदम है उसके साथ,
तो अच्छा लगता है मुझे
उसके साथ गिरना और उसके साथ उठना
कुछ गलत है क्या ?
वो कहते हैं की बनाओ तुम अपनी खुद की पेहचान
जो भिन्न हो सभी से
करो तुम इतनी मेहनत की लोग करे प्रशंसा तुम्हारी
पर जब है मेरी पेहचान उसी से,
तो क्यों करूँ उसको खुद से अलग
वो जब करता है प्रशंसा मेरी,
तभी होती है मेरी मेहनत पूरी
कुछ गलत है क्या ?
वो कहते हैं हो वजूद ऐसा जिसे कोई छू ना पाये
रास्ता चुनो ऐसा जिसे कोई चुन्न ना पाये
पर मिला है मुझे मेरा वजूद मेरी पेहचान से,
वो है तो मैं हूँ , वो नहीं तो मैं भी नहीं
कुछ गलत है क्या ?
वो कहते हैं अच्छा होता है प्रार्थना करना
हल्का हो जाता है मन
पर मैं आँख बंद करती हूँ देखने सिर्फ उसी को,
और मिलता है सुकुन जो बहोत है ये ज़िन्दगी जी लेने को
कुछ गलत है क्या ?